Saturday, March 15, 2014

होली की कहानी दो पंक्तियो की जुबानी

सबसे पहले आप सब को होली २०१४  की हार्दिक बधाईया।  होली की  कहानी को दो दो पंक्तियो में लिखने का प्रयत्न किया है।  रंगो के इस त्यौहार की  पौराणिक गाथा इस प्रकार है :- 

हिरण्यकश्यप एक था राक्षस बड़ा धूर्त 
स्वयं को भगवन मानता था वो बड़ा मूर्ख 

बेटा  उसका प्रह्लाद था विष्णु का परम भक्त 

हिरण्यकश्यप को सहन नहीं होता था उसका यह कृत्य 

अपनी बहन होलिका को बुला कर हिरण्य ने किया विचार विमर्श 

होलिका बोली नहीं जला सकता उसे अग्नि का कोई स्पर्श 

दोनों ने सोच कर किया प्रह्लाद को मारने का प्रबंध 

होलिका बैठी अग्नि में प्रह्लाद को लेकर संग 

प्रह्लाद के मन में था सिर्फ श्री हरी का भजन 

देखते ही देखते होलिका हो गए दहन 

प्रह्लाद का हुआ बल न बांका 

होलिका दहन को देखकर हिरण्य हुआ रुआंसा 

भगवान की भक्ति की ताकत बहुत महान 

इस तरह हुई बुराई पर अच्छाई बलवान 

उस दिन से मानते है होलिका दहन का त्यौहार 

लोग दोहराते है अच्छाई ही सबसे उत्तम व्यव्हार 

जला देते है बुराई लोग होलिका दहन में हाथों हाँथ 

राग द्वेष लोभ मिट जाता है श्री हरी के नामस्मरण के साथ 

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