Sunday, July 6, 2014

मुंबई मेरी जान

चलो करे लोकल की सवारी
चलो करे लोकल की सवारी
कुछ काम नहीं करनी पड़ती उसकी तैयारी
मुंबई वालो से की मैंने बात
सोचा कर लू लोकल की कुछ मालुमात

सबने कहा कस लो कमर
तेज कर लो नज़र
कानों को रखो साफ कर

पहले करो लोकल के रूट का अभ्यास
ध्यान रखो तीन लाइन्स का ध्यास
सेंट्रल हार्बर और वेस्टर्न है मुम्बईकर के प्राणश्वास

फिर लो टिकिट निकल
या करो कूपन का इस्तेमाल
या फिर देक्ख लो ए टी वी मशीन का कमाल

बाद में आ जाओ स्टेशन पर
पहुँच जाओ सही प्लेटफॉर्म की जगह पर
खड़े हो जाओ आरक्षित डब्बो को छोड़कर

देख लो इंडिकेटर को
सुन लो अन्नौंसमेंट करती हुई महिला को
और समझ लो आसपास कड़ी भीड़ को

जैसे ही दिखे ट्रैन दूर से
लगा लो  बैग को सीने से
तैयार हो जाओ लोगो को टकराने से

फिर घुस जाओ डब्बे के अंदर
जहाँ जाते है सब बन्दर
देखो कैसे हो जाते है ढीले शरीर के अस्थि पंजर

ढूंढ लो एक कोना
वही है तुम्हे खड़े खड़े सोना
पर बैग को नहीं है सिने से छोड़ना

चलता नहीं है पंखा
आता है पसीने का वास बड़ा गन्दा
आता नहीं डेस्टिनेशन घंटो घंटा

ढीले पड़  गये  है पैर
नहीं रहा अब मै  शेर
शकल हो गयी अपनों के लिए गैर

जी रहा है मचल
कब आएगा उतरने का पल
कुछ हो रही  पहल
आ रहा मेरा डेस्टिनेशन अगले ही पहर

चलो आ जाओ अब तुम गेट पर
दे दो तुम्हारा कोना किसी और को पुकार कर
और उतर  जाओ जल्दी से अपने डेस्टिनेशन पर

ऐसी  होती है लोकल की सवारी
 कैसे है ये भयानक वारी
नहीं करनी मुझे अब इसकी तैयारी

   

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