Monday, November 17, 2014

सुरज क्यों नहीं है दो

सोचों सुरज होते दो तो क्या होता
कभी मैँ आता या वो

मिल जाती छुटटी मुझे भी कभी
फिर ना निकलना पड़ता रोज सवेरे कभी

सोचो सुरज होते दो तो क्या होता

जाता मैं भी कभी सैर सपाटे पर
ले जाता बीवी बच्चों को भी चौपाटी पर

सोचो सुरज होते दो तो क्या होता

खाता मैं भी पानी पूरी एक ही निवाले में
और लेता मैं सुस्ता दिन के उजाले में

सोचो सुरज होते दो तो क्या होता

नहीं उठना पड़ता सुबह पांच बजे
सोता मैं भी देर रात बारह बजे

सोचो सूरज होते दो तो क्या होता

कभी मैं भी जाता मैटेनी शो
और करता देर रात क्लब का वॉव

सोचो सुरज होते दो तो क्या होता

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