Monday, November 17, 2014

बात जो दिल को छू गयी

नया मोबइल लिया अभी परसो ही। सिम को माइक्रो किया । मज़ा आ गया। कितने सरे गेम्स वीडियो चैटिंग मूवी और गाने। फ़ोन की स्मार्टनेस से हैरान थी मैं।

इतने में मेरी प्रिय सहेली के ग्रहप्रवेश की पार्टी का बुलावा आया और इस तरह दूसरे शहर जाने का योग आया । बारह घंटे का सफ़र था। सुबह 11 बजे बस में चढ़ी। घर फ़ोन कर बता दिया की सब ठीक है और रात 11 /12 बजे के आसपास पहुचने पर फ़ोन करूंगी। तभी सहेली का फोन आया कि वह बस स्टेशन मुझे लेने आ जायेगी। लैकिन मैंन ही उसे कहा की  फ़ोन के मैप इंडिकेटर से रास्ता ढूंढ कर आ जाउंगी।

रात को करीब 11बजे बस पहुँची। रात काफी हो चुकी थी। रास्ते में कोई लाइट्स नहीं। सारी गालियां सुनसान। सहेली के घर जाने के लिये रिक्शा लिया। सोचा घर पर फ़ोन कर दू। देखती तो क्या फोने लग ही नहीं रहा। मैं घबरा गयीं। क्या करू फोन बंद, सहेली का नंबर याद नहीं ,घर पर सब परेशान हो रहे होंगे और ऊपर से यह अनजान  शहर और रात का समय।
मुझे डर लग रहा था। सोचा काश सहेली को बुला लिया होता। अब पछता के क्या फायदा।

फ़ोन को कई बार खोल कर देखा, वापस चालू किया लेकिन रेंज ही नहीं आ रही थी। डर के मरे पसीना छुटने लगा।
अजीब अजीब ख़याल आने लगे। अगर रिक्शा वाले को पता पड़े की फोने नहीं चल रहा और मुझे घर का रास्ता पता नहीं तो कुछ भी हो सकता है। क्या करूँ।
रिक्शा वाले को सहेली के घर के एरिया का नाम बताया और भगवान का नाम लिया और रिक्शा में बैठ गयी।
रास्ते पर कोई भी नही था।
हम लोग गंत्वव्य स्थान पर पहुँचे। रिक्शा वाले ने बोला की आगे कैसे जाना है?

अब मैं क्या करूँ। रात के बारह बज रहे होंगे। मैंने सहस कर उससे कहा की भाई मेरा मोबाइल ख़राब हो गया हैँ । और आगे का रास्ता मुझे पता नहीं। और इतना कहते ही मेरी आँखों से आंसू लोढक गए। रिक्शा वाले भैय्या ने तुरंत उसका मोबाइल आगे किया और बोला की बहन इस मोबाइल से बात कर लीजिये। मैं और जोर से रोने लगी। मैंने बोला की सहेली का नंबर मुझे याद नहीं है। उस भैया ने तुरंत मुझे सुझाया की मैं घर पर फ़ोन करके सहेली का नंबर ले सकती हूँ। मैंने जल्दी से घर फ़ोन लगाया और सहेली का नंबर लिया। उस भाई ने मुझे कहा की बहन आप बिना संकोच के उसका फ़ोन इस्तेमाल कर सकती है। मुझे थोडा आराम मिला। मैंने सहेली को फ़ोन किया और वो पांच मिनिट में मुझे लेने आ गयी।

मैंने उस रिक्शा वाले को धन्यवाद दिया। उसने कहा बहन कभी भाई को कोई धन्यवाद् देता है क्या। भाई का जन्म ही बहन की रक्षा के लिए होता है। और फिर वो अपनी रिक्शा लेकर ओझल हो गया। लेकिन उसकी बातें मेरे कानो में गूँजती ही रही की भाई का जन्म बहन की रक्षा के लिए ही होता है।

काश दुनिया के सभी लोग इसी तरह का विचार करते तो शायद नारी जीवन कितना सुरक्षित होता।

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